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अजमेर रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म पर इतनी भीड़ थी कि वहां की कोई बेंच खाली नहीं थी। एक बेंच पर एक परिवार बैठा था, जो पहनावे से हिन्दू लग रहा था। उसके पास बुर्के में एक अधेड़ सुसभ्य महिला बैठी थी।
बहुत देर चुपचाप बैठने के बाद बुर्के में बैठी महिला ने बगल में बैठे युवक से पूछा, “अजमेर के रहने वाले हैं या फिर यहां घूमने आये हैं?”
युवक ने बताया, “जी अपने माता पिता के साथ पुष्कर में ब्रह्मा जी के मंदिर के दर्शन करने आया था।”
महिला ने फिर पूछा, “आप लोग अजमेर शरीफ की दरगाह पर नहीं गये?”
युवक ने उस महिला से कहा, “क्या आप ब्रह्मा जी के मंदिर गयी थीं?”
महिला बोली, मुझे मंदिर जाने का मौका नहीं मिला। लेकिन, मैं सभी धर्मों के मानने वालों का सम्मान करती हूं।
युवक ने कहा, मुझे भी दरगाह या मस्जिद जाने का अवसर नहीं मिला। लेकिन, मैं सभी धर्मों के मानने वालों का सम्मान करता हूं।
इसके बाद दोनों काफी देर तक धर्म, समाज और दुनियाभर की बातें करते रहे और फिर मानवता में विश्वास रखने की भावना लेकर अपने-अपने रास्ते चले गए।
रमेश अग्रवाल कानपुर -whatsapp से लिया
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