अब महिलाओं के लिए भी शुरू हो आईपीएल जैसी प्रतियोगिता
भारत के अतीत की उप्
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लन्दन के प्रसिद्ध लार्ड्स मैदान में भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने जिस तरह का प्रदर्शन किया उसने पूरे देशवासियों का दिल जीत लिया और वे बहुत ही गौरवांवित हो रहे हैं। जिस तरह से इंग्लैंड की टीम को २२८ रनों पर रोककर धमाकेदार खेल का परिचय दिया था, उससे सबको उम्मीद थी कि इस बार टीम कप जीतकर कपिलदेव वाला इतिहास दोहराएगी। मगर क्रिकेट को चांस का खेल कहते हैं और जब भारतीय टीम लक्ष्य की करीब पहुंचकर ९ रनों से हारी, तो एक बार सभी खेल प्रेमियों को धक्का लगा। हालांकि इस पूरी प्रतियोगिता में देश की महिला क्रिकेट टीम ने मिताली राज के नेतृत्व में जिस तरह शानदार प्रदर्शन किया, उसने देशवासियों को खुश कर दिया। सेमीफाइनल में ६ बार की विजेता ऑस्ट्रेलिया को ८ विकेट से हराकर आत्मविश्वास पैदा करते हुए क्रिकेट प्रेमियों खासकर देशवाशियों को नई ऊर्जा प्रदान की।
सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया पर धमाकेदार जीत और पहले ही मैच में इंग्लैंड को हराने के बाद पूरी उम्मीद थी कि अबकी बार ख़िताब भारत के नाम रहेगा, लेकिन समय को कुछ और ही मंजूर था। विश्वकप जीतने का ख्वाब पूरा नहीं हो सका और अब ४ साल बाद न्यूजीलैंड में होने वाले अगले विश्वकप का इंतज़ार करना पड़ेगा। महिला टीम विश्वकप की शुरुआत पुरुष टीम विश्वाकप से २ साल पहले १९७३ में हुई थी। इस बार का ये ११वां विश्वकप था, जिसमें ६ बार ऑस्ट्रेलिया, ४ बार इंग्लैंड और एक बार न्यूजीलैंड की टीम विजेता रही है। भारत 2 बार फाइनल में पहुंचा, लेकिन खिताब नहीं जीत पाया। भारतीय महिला टीम पिछली बार २००५ में फाइनल में पहुंची थी, तब ऑस्ट्रेलिया के हाथों उसे करारी हार मिली थी। ११ विश्वकप की मेजबानी ३ बार इंग्लैंड, २ बार भारत, २ बार ऑस्ट्रेलिया, २ बार न्यूजीलैंड, १ बार वेस्टइंडीज और १ बार साउथ अफ्रीका कर चूका है।इस प्रतियोगिता में ८ टीमो ने भाग्लिया और प्रत्येक टीम को ७ मैच खेलने थे भारत ने ७ मैचो में ५ जीते और केवल २ हारे.पमैच में इंग्लैंड को ३५ रनों से,वेस्ट इंडीज को ७ विकेट से,श्री लंका को १६२ रनों से ,पाकिस्तान को ९५ रनों से ,और न्युजीलैंड को १८६ रनों से हराया था जब्की साउथ अफ्रीका से ११५ रनों से और ऑस्ट्रेलिया से हरी लेकिन सेमी फाइनल में ऑस्ट्रेलिया को ८ विकेट से हरा कर देशवाशियो को खुश कर दिया. इंग्लैंड में ३ बार प्रतियोगिता हुई और तीनों बार इंग्लैंड ही जीती। इंग्लैंडड की टीम एक बार ऑस्ट्रेलिया में भी खिताब जीत चुकी है। १९८३ में इसी मैदान की बालकनी से देश को कितना गौरव मिला था, जब कपिल देव ने २ बार की विश्व विजेता वेस्टइंडीज को फाइनल में हराकर विश्वकप जीता था। उम्मीद थी कि यही इतिहास फिर दोहराया जाएगा। एक समय भारत बहुत अच्छी स्थित में था, जब भारत के ३ विकेट पर १९० रन थे। इसके बाद ७.२ ओवेरों में केवल ३९ रन बनाने थे, लेकिन दबाव या नर्वस होने की वजह से बाकी खिलाड़ी ताश के पत्तों की तरह ढह गए। इंग्लैंड की जीत की नायक और प्लेयर ऑफ़ मैच अन्या श्रुव्सोल रहीं, जिन्होंएने भारत के ६ खिलाडि़यों को ९.४ ओवेरों में केवल ४६ रन देकर आउट कर दिया। इसी तरह प्लेयर ऑफ़ प्रतियोगिता भी इंग्लैंड की टेमी ब्युमोट रहीं, जिन्होंने पूरी प्रतियोगिता में ४१० रन बनाए। भारत के लिए कप्तान मिताली का रन आउट होना दुर्भाग्यपूर्ण रहा, क्योंकि मिताली ने ४०९ रन बनाये थे, यदि २ रन और बना लेतीं, तो उन्हें प्लेयर ऑफ़ टूर्नामेंट मिलता। इस प्रतियोगिता में भारत की दीप्ती शर्मा ने १२ विकेट लेकर ५ शीर्ष गेंदबाजों में जगह बनाई और हरमनप्रीत १७१ रनों की पारी खेलकर दूसरे नंबर पर रहीं। टीम के खेल से खुश होकर क्रिकेट बोर्ड ने प्रत्ये क खिलाड़ी को ५० लाख रुपये देने की घोषणा की। विश्व में महिला क्रिकेट को वह दर्ज़ा नहीं प्राप्त हुआ, जो पुरुष क्रिकेट को मिला। क्रिकेट बोर्ड ने महिला क्रिकेट को अपने क्षेत्र में २०१५ से लिया, लेकिन बहुत भेदभाव था। ए ग्रेड में पुरुष खिलाडि़यों को २ करोड़, जबकि महिला खिलाडि़यों को 15 लाख रुपये का करार था। वहीं, बी ग्रेड में यह राशि क्रमश: एक करोड़ और १० लाख थी। उम्मीद है कि अब महिलाओं के लिए भी आईपीएल जैसी प्रतियोगिता शुरू की जाएगी। और भी दूसरे सुधार होंगे। मिताली की टीम के खेल के बाद देश का क्रिकेट बोर्ड उनके साथ के भेदभाव को खत्मभ करेगा। देश में महिला क्रिकेट की शुरुआत १९७६ में हुई थी, जब पहला टेस्ट मैच वेस्टइंडीज के खिलाफ खेला गाया। पहला वनडे १/१/७८ को इंग्लैंड के खिलाफ कलकत्ता में और पहला टी-२० ५/८/०६ को इंग्लैंड के खिलाफ खेला गया था। १९८५ में संध्या अग्रवाल ने इंग्लैंड के खिलाफ १९० रनों की पारी खेलकर विश्व रिकॉर्ड बनाया। २००६ में इंग्लैंड के खिलाफ पहली टेस्ट सीरीज १-० से जीती। २००५ में विश्वकप फाइनल में पहुंची और २०१६ में विश्व चैंपियन ऑस्ट्रेलिया से टी-२० सीरीज जीती। इस तरह महिला टीम ने बिना किसी प्रोत्साहन के खेल का स्तर यहां तक अपने दम पर पहुंचाया। उम्मीद है कि अब उनके अच्छे दिन शुरू हो जाएंगे। इस सुन्दर खेल के लिए मिताली और उनकी टीम को बधाई, हमें आप पर गर्व है।
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