राष्ट्र के सर्वोच्च पुरस्कार “भारत रत्न”के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारियाँ-.
भारत के अतीत की उप्
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जय श्री राम हर राष्ट्र और संस्था अपने नागरिको और सदस्यों को विभिन्न क्षेत्रो में उत्क्रठ कार्य करनेके लिए प्रेरणा देने के लिए कुछ पुरस्कारो की घोषणा करते -जिनका राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में मान्यता मिली हो.!हमारे राष्ट्र ने भी १९४७ में आजादी के बाद इस बारे में सोचना शुरू किया और २ जनवरी १९५४ को तत्कालीन राष्ट्रपति बाबु राजेंद्र प्रसाद जी के द्वारा राष्ट्र के सर्वोच्च सम्मान पुरस्कार ‘भारत रत्न””की शुरुहात की घोषणा की गयी जो राष्ट्रीय सेवा के लिए कला,विज्ञान,साहित्य,खेल,सामाजिक सेवा,के क्षेत्र में दिया जाएगा जो राष्ट्र का सर्वोच्च सम्मान होगा!इस पुरस्कार में लिंग,नस्ल ,क्षेत्र,भाषा,जाति,धर्म आदि पर आधारित नहीं होगा.इसे नाम के साथ पदवी की तरह इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. ,!इस २६ जनवरी को राष्ट्रपति द्वारा दिया जाएगा जिसे प्रधानमंत्री एक नियुक्त कमेटी की सिफारिश पर राष्ट्रपति को भेजते है.!एक साल में ३ से ज्यादा लोगो को ये सम्मान नहीं दिया जा सकता और ये भी नहीं जरूरी की हर साल दिया जाए !ये भी कही नहीं लिखा की ये केवल भारतीयों को ही मिलेगा क्योंकि २ विदेशियों को भी दियाजा चूका है.! पहले इसे मरणोपरांत देने का प्रावधान नहीं था लेकिन १९५५ से इसे हटा दिया गया.! १४ व्यक्तियों को मरणोपरांत ये पुरस्कार दिया गया था लेकिन सुभाषचंद्र बोसे जी को दिया पुरस्कार उनकी मौत की पुष्टि न होने से वापस ले लिया गया इस तरह १३ व्यक्ति अब रह गए है.१९५४ में ३ भारतीयों सर्व पली राधाकृष्णन जी,राजगोपालाचारी और प्रसिद्ध वैज्ञानिक सी.वी .रमण जी को दिया गया था और २०१५ में महामहिम मदन मोहन जी मालवीय और माननीय अटल विहारी जी वाजपई जी को दिया गया था इस तरह अब तक १९५४- २०१५ तक ४५ लोगो को इस सम्मान से सम्मानित किया जा चूका है.!नेहरूजी और इंदिराजी ही केवल ऐसे प्रधानमंत्री थे जिन्होंने पद पर रहते ही खुद ये सम्मान ले लिया.!२ विदेशियो खान अब्दुल गफ्फार (१९८०)पख्तूनी नेता और नेल्सन मंडेला (१९९०) दक्षिणी अफ्रीका के स्वतंत्रता संग्रामी और राष्ट्रपति को दिया गया था. !मौलाना अब्दुल कलम आज़ाद ने इसे लेने से इनकार कर दिया था क्योंकि वे उस कमेटी में थे जो इसके लिए नामांकन करती थी.बाद में उन्हें १९९२ में मरणोपरांत दिया गया.!मरणोपरांत सर्व प्रथम पुरस्कार श्री लाल बहादुर शास्त्री जी को दिया गया था.!१९७७ में जनता पार्टी की सरकार ने बंद कर दिया था जिसे कांग्रेस सरकार ने १९८० में फिर शुरू किया और जिसे पहला पुरस्कार मदर टेरेसा ने १९८० में प्राप्त किया.!सत्यपाल आनंद ने राजीव गाँधी को मरणोपरांत इस पुरस्कार देने को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी.चूंकि पटेलजी से नेहरूजी के रिश्ते ख़राब थे इसलिए उन्हें `१९९१ में और आंबेडकर जी को १९९० में नरसिंह राव ने अपने प्रधानमंत्री काल में दिया था
पदक की डिज़ाइन:-मूल रूप में इस सम्मान पदक की डिज़ाइन ३५ mm गोलाकार स्वर्ण पैदल था जिसके सामने सूर्य बना था ऊपर हिंदी में भारत रत्न लिखा था और नीचे फूलो का गुलदस्ता था.!पीछे की तरफ राष्ट्रीय चिन्ह और सत्यमेव जयते लिखा था.!बाद में इस बदल कर तांबे से बनी पीपल की पत्ती थी जिसमे प्लैटिनियम का चमकता सूर्य बना था जिसके नीचे “भारत रत्न “लिखा है और पीछे राष्ट्रीय चिन्ह के साथ सत्यमेव जयते लिखा है.! इसे सफ़ेद फीते के साथ गले में पहना जाता है.!भारत रत्न पाने वालो को मिली सुविधाए :-१.जीवन भर आयकर से छूट २.जीवन भर एयर इंडिया और भारतीय रेलवे में प्रथम श्रेणी में मुफ्त यात्रा.३.संसद की बैठको और सत्र में भाग लेने की अनुमति.४.कैबिनेट रैंक के बराबर की योगिता मिलती है.!५. जरूरत पड़ने पर z ग्रेड की सुरक्षा प्रदान की जाती है !६.vvip के बराबर का
दर्जा प्राप्त होता है !७.देशके अन्दर किसी राज्य में यात्रा के दौरान उन्हें स्टेट गेस्ट की सुविधा मिलती है !८.विदेश यात्रा के दौरान उन्हें भारतीय दूतावास द्वारा हर सुविधा प्रदान की जाती है !
भारत रत्न पाने वालो के नाम : -१९५४ -१.सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी,२.चक्रवर्ती राजगोपालचारी और३. चन्द्र शेखर वेंकटेश रमण
, १९५५ ४. -डाक्टर भगवन दास ,५.डाक्टर विश्वेश्वराय ६.पंडित जवाहर लाल नेहरु
१९५७-७. पंडित गोविन्द भाल्लभ पन्त ,८.डाक्टर केशव कर्वे
१९५८-९.डाक्टर विधान चन्द्र राय
१९६१-१०.श्री पुरुषोतम दस टंडन ,११.बाबु राजेन्द्र प्रसाद
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