देश के लौह पुरुष सरदार पटेल के निर्वाण दिवस (१५ दिसंबर) पर उन्हें सत सत नमन
भारत के अतीत की उप्
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जय श्री राम बहुत से राष्ट्र के महापुरुषो का राष्ट्र निर्माण में किये योगदान को भुलाया नहीं जा सकता और उनके कार्यो के बिना राष्ट्र की कल्पना भी नहीं की जा सकती.!पटेलजी केवल आदर्श व्यक्तित्व के व्यक्ति ही नहीं थे बल्कि एक निडर साहसी प्रखर,दूरदर्शी और सफल कूटनीतिगय थे जिसकी कार्यो की वजह से आज हमारा देश इतना मजबूत लोकतंत्र है !उन्होंने आजादी के पहले और बाद भी देश को एक धागे में पिरोने की भरकस कोशिश की जिनके कारन उन्हें लौह पुरुष कहा जाता है.!उनका जन्म ३१ अक्टूबर १८७५ को गुजरात के नडियाद गाँव में एक गुर्जर किसान परिवार में हुआ था .उनके पिता झाबेर भाई पटेल एक गरीब किसान थे और माँ लाडवा देवी एक ग्रहणी थी.!वे अपने पिता के कार्यो में हाथ बटाते हुए हाई स्कूल किया बाद में लन्दन से बैरिस्टर बन कर अगस्त १९१० में देश लौटे.कुछ वर्ष उन्होंने अहमदाबाद में वकालत की लेकिन महात्मा गांधी के विचारो से प्रभावित होकर सब छोड़ कर स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े.उस वक़्त अँगरेज़ किसानो से बहुत कर वसूलते थे जिसके विरुद्ध उन्होंने सबसे पहले गुजरात के खेड़े में किसानो को एकत्रित कर कम करने के लिए आन्दोलन किया उनकी दूरदर्शित्सा के कारन अंग्रेजो ने किसानो के क़र्ज़ को माफ़ कर दिया.!फिर १९२८ में गुजरात के वारडोली किसानो के साथ कर माफी का आन्दोलन किया अंग्रेजो ने बहुत अत्याचार किये लेकिन अंत में उन्हें क़र्ज़ माफ़ करवा लिया.!इससे खुश हो कर किसान महिलाओं ने उन्हें सरदार की पदवी दी,!भारत छोड़ो आन्दोलन का भी वे प्रचार प्रसार करते रहे..उन्हें भारतीय सिविल सर्विस का संरक्षक भी कहा जाता क्योंकि उन्होंने ही आधुनिक भारत के सिविल सर्विस सिस्टम की स्थापना की.!उनके बारे में “मैनचेस्टर गार्जियन “ने लिखा था की “एक ही व्यक्ति विद्रोही और राज्नीत्ग्य के रूप में कभी कभी ही सफल होते है परन्तु इस सम्बन्ध में भारत के पटेल अपवाद है “उनके मुख्य ३ कार्य थे जिनके कारण वे भारतीयों के दिल में बसते है.!५६३ रियासतों का एकीकरण करना, सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण और गांधीजी के कहने से प्रधानमंत्री पद भी छोड़ कर सर्वोच्च वलिदान की मिशाल पेश की.वे वोट बैंक राजनीती के खिलाफ थे और खुद के हित को न देखकर राष्ट्र हित में ही कार्य करता थे.उनका नेहरूजी से हमेश विरोध और तनाव रहता लेकिन वे नेहरूजी की बहुत इज्ज़त करते थे.वे सिधांत के पक्के थे !वे पूर्ण रूप से राष्ट्रवादी थे जबकि नेहरूजी मुस्लिम तुष्टीकरण और अहम् में रहते थे.!नेहरूजी कहते थे की वे दुर्घटना वश हिन्दू परिवार में पैदा होने के कारण हिन्दू है जबकि पहनावे से मुस्लिम और विचारो से अँगरेज़ ! इसीलिये पटेल और नेहरूजी में कभी पटती नहीं थी.! जब अँगरेज़ देश को १५ अगस्त ४७ को आज़ादी देने के लिए राजी हो गए तो गांधीजी ने १६ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्षों की मीटिंग बुलाई जिसमे तय हुआ की जिसके पक्ष में सबसे ज्यादा वोट पड़ेगे वह कांग्रेस का अध्यक्ष होगा और बाद में प्रधानमंत्री!नेहरु,पटेलजी खड़े हुए.पटेलजी को १४ , और नेहरु को १ वोट मिला और .इस हिसाब से पटेलजी कांग्रेस के अध्यक्ष होंगे और बाद में प्रधानमंत्री!कांग्रेस में नेहरूजी को बहुत कम पसंद करते थे क्योंकि वे चुरुट,सिगार पीते शराब भी पीते साथ में लेडी माउंटबेटन से उनके अवैध सम्बन्ध थे.!नेहरूजी गांधीजी के पास गए और कहा की यदि वे प्रधानमंत्री नहीं बने तो वे कांग्रेस को तोड़ देंगे और फिर अँगरेज़ आज़ादी नहीं देंगे क्योंकि वे कहेंगे नेहरु वाली कांग्रेस असली है.!असल में माउंटबेटन को भेजना अंग्रेजो की चाल थी क्योंकि वे नेहरु को ज्यादा पसंद करते क्योंकि उनके हिसाब से नेहरु पैदा भारतीय हुए लेकिन उनके विचार और आत्मा अंग्रेज़ी है और वे अंग्रेज़ी नीतियां अपनाएंगे.!इसके अलावा नेहरु के लेडी माउंटबेटन से सम्बन्ध सभी को मालूम थे.!गांधी जी नेहरु के ब्लैकमेल में आ गए और उन्होंने सरदार पटेल को चिट्ठी लिखी की नेहरु सत्ता के लालच में कांग्रेस को तोड़ने की बात कर रहा और ऐसे में आजादी मुश्किल हो जायेगी इसलिए तुम अपना नाम वापस ले लो.!पटेलजी गांधीजी से मिले और कहा बापू यदि ये आपके अंतरात्मा की आवाज़ है तो हम नाम वापस ले लेंगे इस् तरह गांधीजी की कमज़ोर नीति और अंग्रेजो की कूटनीतिक चाल तथा नेहरु की गद्दारी ने देश का बहुत बड़ा नुक्सान हुआ क्योंकि यदि पटेलजी प्रधानमंत्री हो जाते तो आज देश की हालत इतनी बुरी न होती,!गांधी जी के सचिव प्यारेलाल जी ने एक किताब लिखी थी “पूर्ण आहुति”जिसमे गांधीजी का पटेलजी को लिखा पत्र और बहुत सी चीजे है.!१५ अगस्त १९९७ को इंडिया टुडे में नेहरूजी की २ फोटो छपी थी जिसको देखकर सर शर्म से झुक जाता की क्या यही भारत का पहला प्रधानमंत्री था !मृत्यु से एक महीने पहले पटेलजी ने नेहरूजी को एक पत्र लिखा था जिसमे चीन से सावधान रहने की चेतावनी दी थी.! रियासतों का एकीकरण :- अँगरेज़ आज़ादी देते वक़्त ५६३ छोटी बड़ी रियासते छोड़ गए थे और उनको आजादी थी की चाहे तो भारत या पकिस्तान में विलय कर ले या स्वतंत्र रह सकते है!ये बहुत कठिन स्थिति थी.!जब देश की आजादी तय हो गयी तो २७ जून १९४६ को कांग्रेस को अंतरिम सरकार बनाई पडी जिसमे पटेलजी को ग्रह (home) विभाग का कार्य मिला उन्होंने वी पी मेनन को अपना सचिव चुना.!विलय के लिए रियासतों को कहा गया की रक्षा,विदेश और संचार विभाग कांग्रेस को देना पड़ेगा !पटेलजी और मेनन जी ने साम,दाम दंड भेद रीति अपनाई और एक साल का समय दिया !इस बीच दावते दे कर पुचकारा गया,प्रिवी पर्स देने की बात की !देश भक्ति के साथ दूरदर्शिता समझदारी का परिचय मेनन जी ने दिखाया.!कुछ रियासतों पर माउंटबातें से दवाब डलवा कर विलय करवा लिया.!लेकिन ३ रियासते जम्मू कश्मीर,जुनागड़ और हैदराबाद नहीं माँने और जुनागड़ हैदराबाद को बल्पुवक विलय करवाया जबकि कश्मीर नेहरूजी की गलत नीतिओ और मुस्लिम प्रेम से आज नासूर बना है.और पूरा देश नेहरूजी की गलतियों को भुगत रहा.!
जम्मू कश्मीर.-१९४७ में पकिस्तान ने कब्बालियो के वेश में अपनी सेना भेज दी जिन्होंने पुरे प्रदेश में मार काट कर श्रीनगर तक आ गयी वहां के रजा हरी सिंह ने अपने प्रधानमंत्री को दिल्ली मदद के लिए भेजा लेकिन दिल्ली में कहा गया की चूंकि आपने प्रदेश का विलय नहीं किया इसलिए हम मदद कैसे कर सकते !? अंत में प्रधानमंत्री ने रजा हरी सिंह को विलय पर हस्ताक्षर करवा दिए और फिर पटेलजी ने देश की सेना को हवाई जहाज़ से भेज दिया जिन्होंने पाकिस्तानी सेना को उनकी सीमा तक भेज दिया !देश की सेना चाहती थी की यदि २ दिन के लिए उन्हें पूरी छूट दे दी जाये तो लाहौर कराची तक वे कब्ज़ा कर लेंगे.!लेकिन नेहरूजी ने कश्मीर समस्या अपने पास रक्खी और जब भारतीय सेना पकिस्तान की तरफ बढ़ रही थी नेहरु जी ने सबसे बड़ी गलती की जब उन्होंने दिल्ली के अखिल भारतीय रेडियो में जाकर युद्ध विराम घोषणा कर दी और संयुक्त राष्ट्र से जनमत के जरिये कश्मीर समस्या का हल निकालेगी इस तरह पूरे क्षेत्र को विवादित क्षेत्र घोषित कर दिया और समस्या का अंतर्राष्ट्रीय बना दिया !इस तरह बहुत बड़ा कश्मीर का हिस्सा पकिस्तान के पास चला गया !कायदे से युद्ध विराम के लिए कैबिनेट की मंजूरी लेने चाइये थी लेकिन कश्मीर के मामले में नेहरु जी की नीति अलग थी और इससे पटेलजी ने विरोध और बढ़ गया था.!आज तक देश नेहरूजी की गलती का फल भुगत रहा है और देश की सुरक्षा खतरे में पड़ गयी ! हैदराबाद :-वहां का निजाम पकिस्तान से मिलना चाहता या स्वतंत्र रहना चाहता था और बहुत सा धन उसने पकिस्तान को दे दिया.उसका प्रधानमंत्री पटेलजी और मेनन से बुरी तरह पेश आता था .रजाकारो की फौज बना कर हिन्दुओ का कत्लेआम शुरू कर दिया.!हैदराबाद का निजाम मुस्लिम था जबकि बहुसंख्यक जनता हिन्दू थी.!पटेलजी समझ गए की हैदराबाद का विलय देश की सुरक्षा के लिए बहुत ज़रूर है और कुछ दूसरा उपाय करना पड़ेगा.!बिना नेहरूजी को बताये १३ सितम्बर १९४८ को सेना भेज दी और कह दिया की कानून व्यवस्था के लिए पुलिस कार्यवाही की गयी. जिसका नाम “ऑपरेशन पोलो”था.निजाम ने माउंटबैटन की भी नहीं मानी.!२१ जून १९४८ को माउंटबैटन ने इस्तीफ़ा दे दिया १७ सितम्बर १९४८ को निजाम ने विलय पर संधि कर ली ! जूनागढ़ :-जूनागढ़ का नवाब मुस्लिम था लेकिन बहुसंख्यक जनता हिन्दुथी और नवाब विलय के लिए राजी नहीं हुआ न ही माउंटबातें की मानी !पाकिस्तान से विलय चाहता था जिसे पाकिस्तान मान गया!१५ /९/ १९४७ को सेना भेज कर जनमत की बात करी !नवाब पकिस्तान भाग गया और २०/२/४८ को ९९% जनता ने विलय के पक्ष में वोट किया और इस तरह जुनागढ भी मिल गया!आज भी नवाब पकिस्तान में १६००० रु मासिक पेंशन में रह रहा है ! सोमनाथ मंदिर का पुनःनिर्माण :-जूनागढ़ में सरदार पटेलजी ने पाया की जनता सोमनाथ मंदिर का पुनःनिर्माण कर गुलामी के चिह्न मिटारना चाहती थी.!पटेलजी ने गांधीजी से बात की और वे भी राजी हो गए लेकिन खर्च जनता से लेना चाइये.!के.एम्.मुंशी जी जो नेहरु कैबिनेट में मंत्री थी उनकी देखरेख में हुआ.!जन पूरा मंदिर बन गया और मूर्ती बन कर तैयार हुई १५ दिसंबर १९५० को सरदार पटेल जी की मृत्यु हो गयी परन्तु बाद में बाबु राजेंद्र प्रसाद जी ने इसका उद्घाटन किया यदपि हिन्दू उग्रवाद के नाम पर नेहरूजी ने विरोध किया !इसीलिये नेहरूजी बाबु राजेंद्र प्रसाद और पटेलजी के अंतिम संस्कार में भी नहींगयी.!
नेहरु पटेलजी के बीच में विरोध हमेश रहा जिसमे प्रधानमंत्री के चुनाव , कश्मीर,सोमनाथ मंदिर और मुस्लिम शरणार्थियो को लेकर था.!पटेलजी ने ३०.१.४८ को इस्तीफ़ा लेकर गांधीजी से मिले सुबह और गांधीजी ने उनके उत्तर का इंतज़ार करने को कहा लेकिन उसीदीन शाम को उनकी हत्या हो गयी और फिर पटेलजी ने इस्तीफ़ा नहीं दिया क्योंकि वे नेहरूजी और गांधीजी की बहुत इज्ज़त करते थे.!१९४८ तक पटेलजी सेना के कमांडर भी थे.और सविधान बनाने में नागरिक स्वतंत्रता पर बहुत योगदान किया था.एक बार एक स्वतंत्रता सेनानी का मुकदमा लड़ने मुम्बई गए जबकि उनकी पत्नी की तबियत ख़राब थी.मुम्बई में अदालत में उन्हें एक तार मिला उन्होंने पढ़ा जेब में रख लिया और फिर मुक़दमे में लग गए !तार में उनकी पत्नी की मृत्यु का समाचार था.ये उनकी कर्तव्यनिष्ठ दिखाती है.नेहरु जी से वोरोध के कारन ही उन्हें भारत रत्न ४१ मृत्यु के ४१ साल बाद प्रधानमंत्री नरसिंहराव इन १९९१ में दिया था.!
ऐसे महान देशभक्त.दूरदर्शी और दढ इच्छाशक्ति नेता के कारन ही उन्हें देश का “बिस्मार्क” कहा जाता है.उन्हें लौह पुरुष भी कहा जाता है !आज देश को एकजुट में उनका बहुत योगदान है.उनकी पूणतिथि पर कृतज्ञ राष्ट्र का सत सत नमन !
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